क्या 100, 200, 500 के बैंक नोट वैध रूपया नहीं हैं?

 कहानी रुपए की 

एक रुपया भारत में वैध मुद्रा है जो भारत सरकार के वित्त सचिव द्वारा गार्ंटेड है। आन्ना या पैसा इसके विभाजक। 16 आन्ने का एक रुपया और 64 पैसे का एक रुपया था। बाद में जब उसे दशमलवीकरण यानी decimalization किया गया तो नया पैसा इंट्रोड्यूस किया गया। 

1 रुपए का कागजी सिक्का जो भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत है

भारत में केवल एक रुपया ही वैध धन है इसीलिए पुराने लोग बोलते हैं दान या शगन की जगह आप कितना मर्जी पैसा दें असल वैल्यू ऊपर रखे 1 रुपए की है। 

हालांकि जितने भी सिक्के भारत सरकार ढालती है वो सब वैध धन हैं। जबकि बैंक नोट जिन्हें की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी भारतीय रिजर्व बैंक छापता है वे वैध धन नहीं हैं। इसी लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा गारंटी या प्रत्याभूत नहीं किया जाता। यानी केवल सिक्के ही वैध धन हैं कागज़ के नोट नहीं। 

भारतीय रिजर्व बैंक का 500 का नोट जिसपर वचन दिया गया है की धारक को 500 रुपए दिए जायेंगे। 

लेकिन क्योंकि एक रुपए के कागज के नोट पर तो भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं फिर ये नोट कैसे वैध धन नहीं हुआ? जी सिक्कों के अलावा, मात्र एक रुपए का कागजी नोट ही वैध धन है क्योंकि coinage Act 2011 के सेक्शन 2 (a) के अनुसार 1 रुपए का नोट भी coin यानी सिक्का है। 

अब बात आती है तो ये 1 रुपए से ज्यादा के सभी रुपए के कागजी नोट क्या वैध धन नहीं हैं?  जी बिल्कुल बाकी सभी कागजी बैंक नोट भारत सरकार नहीं बल्कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करता है। ये सभी नोट वैध धन नहीं बल्कि प्रोमिसरी नोट होते हैं। जिसपर भारत सरकार के नहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं और हर नोट पर गवर्नर द्वारा वादा किया गया होता है की (मैं धारक को "अमुक" रुपए अदा करने का वचन देता हूं।) यही वचन एक रुपए के नोट पर इसलिए नहीं लिखा जाता क्योंकि वो स्वयं रुपया है। उसी के आदान प्रदान का वादा किया जाता है। 

यानी आप इन बैंक नोट को केवल लीगल टेंडरिंग के लिए प्रयोग कर सकते हैं ये वास्तविक धन या रुपया नहीं है। 

ये ठीक वैसा ही सिस्टम है जैसा कि hundi हुआ करती थी। Hundi एक गैर सरकारी मनी ट्रांसफर सिस्टम था जो पुराने समय से व्यापार जगत में जगत सेठों द्वारा अमल में लाया जाता था। किसी एक शहर में सेठ द्वारा कैश रुपए लेकर hundi लिख दी जाती थी और hundi के बदले धारक किसी दूसरे शहर में अपना रुपया कैश ले सकता था। ठीक वैसे ही जैसे बियरीर चेक या डिमांड ड्राफ्ट काम करते हैं। 

हुंडी जिसका प्रयोग व्यापारियों द्वारा एक जगह से दूसरी जगह पैसे के लेन देन के लिए होता था। 

इसी तरह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा छापे गए बैंक नोट काम करते हैं ये व्यापार में रुपए के आदान प्रदान का जरिया हैं रुपया नहीं हैं। मसलन अगर हम 50 रुपए का नोट लेकर रिजर्व बैंक में जाते हैं और बदले में रुपए मांगते हैं तो बैंक आपको 1 रुपए के अलग अलग 50 कागज या धातु के सिक्के देगा।

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