भारतीय रिजर्व बैंक और ईस्ट इंडिया कंपनी
भारतीय रिजर्व बैंक का गठन 1935 में किया गया था और इसके लोगो को East India Company की डबल मोहर पर बनाया गया था जिसमें शेर की जगह बदलकर चीते को रखा गया, पीछे पाम ट्री है।
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ईस्ट इंडिया कंपनी की सोने की 1 मुहर जिसपर शेर है। |
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भारतीय रिजर्व बैंक का लोगो जिसमे चीता है |
भारतीय रिजर्व बैंक पूरी तरह प्राइवेट बैंक के तौर पर खड़ा किया गया था। जैसे भारत के सभी बैंको के खाते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में हैं वैसे ही भारतीय रिजर्व बैंक का खाता भी बैंक ऑफ इंग्लैंड में है। भारत का रिजर्व सोना 30 अन्य देशों के साथ ही बैंक ऑफ इंग्लैंड के गोल्ड वाल्ट में रखा जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक नोट बनाने के लिए 3 फरवरी 1995 को एक सहायक कंपनी-भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड-की स्थापना की। गौर करें प्राइवेट लिमिटेड कंपनी यह कोई सरकारी प्रिंटिंग कंपनी नहीं है, बल्कि निजी कम्पनी है जो भारतीय रिजर्व बैंक ने बनाई।
अब हमको बताया जाता है की भारतीय रिजर्व बैंक का 1949 में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। तो 1995 में एक सरकारी बैंक खुद प्राइवेट कंपनी कैसे बना सकता था?
भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर में से एक नचिकेत मोर भी हैं जो मिलिंडा एंड गेट्स फाउंडेशन के चेयरपर्सन हैं।
1935 में सिकंदर हयात खान(यूनियनिस्ट मिशन वाले), पुरुषोत्तम दास ठाकुरदास ( उद्योगपति और FICCI के संस्थापक) सुंदर सिंह मजीठिया (पंजाब के बिकरमजीत सिंह मजीठिया के पड़दादा) , बद्रीदास गोएनका (जो पहले सेंट्रल बैंक इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन थे, यही बैंक 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बना जिसके चेयरमैन भी गोएनका बने), आदम हाजी मोहम्मद सैत, होमी मानेक मेहता इत्यादि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डायरेक्टर थे।
बैंक ऑफ इंग्लैंड और भारतीय रिजर्व बैंक की कार्यप्रणाली और सहायक कम्पनी, मुद्रा विनियम इत्यादि एक जैसी हैं।
मैने कई बातें इंगित की हैं बिल गेट्स का भारतीय रिजर्व बैंक का दौरा, भारतीय रिजर्व गोल्ड का इंग्लैंड में रखा जाना, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा मुद्रा प्रिंटिंग इत्यादि कई बातें हैं आप भी खोजिए और समझिए भारतीय वित्त सिस्टम पर कौन काबिज है और कैसे।
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