जनता में राजनीति के प्रति उदासीनता है कम वोटिंग का कारण

कम मतदान का बड़ा कारण जनता में उदासीनता होती है। जब जब भारी मतदान होता है वो अधिकतर सत्ता पलटने के लिए होता है। लेकिन कम मतदान का मतलब भी सत्ता के पक्ष में ही हो यह जरूरी नहीं है। कम मतदान के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे अहम कारण है जनता का राजनैतिक पार्टियों के प्रति अविश्वास का बढ़ना। 

जिसमें पार्टियों के नेताओं का दल बदलना, सत्ता पक्ष का उपेक्षित कार्य ना करना, और विपक्ष का जनता के भरोसा स्थापित ना कर पाना बड़े कारण है जिनसे जनता में उदासीनता आती है। 

मौजूदा समय में धीरे धीरे युवा पीढ़ी पर भविष्य को लेकर दबाव बढ़ रहा है भले ही लोग टोलियों में बैठकर जय श्री राम के नारे लगाए लेकिन अंतर मन में भविष्य की चिंता सबको सताती है। रोजगार युवा पीढ़ी की सबसे बड़ी चिंता है। 

दूसरी तरफ देश की प्रथम बड़ी राष्ट्रीय पार्टी जनता में अपना विश्वास नहीं बना पा रही। राहुल गांधी ने हालांकि भारत भर की यात्राएं कर लोगों को जोड़ने की भरपूर कोशिश की है किंतु, कृषि बिल, MSP, OPS या अन्य योजनाएं जिनके या तो कांग्रेस खाके तैयार किए थे या लागू लागू नहीं की या खतम की उनकी कारण लोगों में कांग्रेस के प्रति विश्वास की कमी है। 

एलक्टोरल बॉन्ड मामले में लगभग विपक्ष की बड़ी पार्टियां जो सफेदपोश होने का दावा करती हैं सब मैली पाई गई हैं। 

कांग्रेस पर लोगों का भरोसा ना होने के कारण ही आज कांग्रेस अब तक की सबसे कम सीटों पर चुनाव लडने को मजबूर है। 

कम वोटिंग के कारण जहां सत्ता पक्ष की नींद हराम है वहीं विपक्ष के पास भी कोई खुशी मानने की वजह नहीं है।

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