चार वेद, छह शास्त्र और तेरह उपनिषद ही ज्ञान हैं ये
जिसे हिंदुत्व कहा जाता है उसके सामान्यतः तीन तरह के ग्रंथ हैं जिनसे आपको पाखंड कम मिलेगा और पढ़ने पर कुछ काम की चीज अवश्य मिलेगी।
चार वेद, छह शास्त्र और 13 उपनिषद इनके अलाव जो कुछ भी है सब अपनी सुविधा के हिसाब से घुसाया गया है।
इनमें भी 18 पुराण और दो महाकाव्य सबसे ज्यादा मिथ्या और काल्पनिक बातों पर केंदित हैं इन्हीं 20 ग्रंथों के कारण आज हिंदुत्व अथवा सनातन कहे जाने वाले सेक्ट की बुरी गति है।
अन्यथा यदि चार वेद, छह शास्त्र, 13 उपनिषदों तक बात करें तो ये तीनों ग्रंथ, बाइबल, कुरान, गुरबाणी से कहीं अधिक काम के और प्रभावी हैं।
एक और बात हिन्दू शब्द फारसी से आया और उसके पहले सनातन नाम का कोई धर्म नहीं था किसी वेद, उपनिषद, शास्त्र में सनातन नाम के धर्म का कोई उल्लेख नहीं है। बल्कि यूं कहें कि धर्म का नाम ही नहीं था कर्मों को धर्म और अधर्म में बांटा गया है।
इन ग्रंथों में धर्म की व्याख्या अलग है दो ही तरह के कर्म होते हैं धर्म या अधर्म।
अंग्रेज जब आए उन्होंने फॉर्म भरवाए religion शब्द आया जिसमें आपको अपनी भक्ति के बारे में भरना था वहां से हिंदू शब्द धर्म के नाम पर प्रयोग होना शुरू हुआ।
मेरे निजी विचार मेरे अपने अध्ययन के आधार पर हैं बाकी सबकी बुद्धि अपने तरीके से सोचती है सबके अपने एक्सपीरियंस होते हैं।
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