क्यों खालिस्तान भिंडरवाले के नाम चिपकाया गया

क्या भाजपा और कांग्रेस दोनों ही शामिल थे ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार कॉन्सपिरेसी में... ❓❓❓❓❓❓

#इंदिरा_गांधी सरकार द्वारा संत #जरनैल_सिंह_भिंडरावाले का शिकार उसी तरह #फर्जी_प्रोपेगेंडा के आधार पर किया गया जैसे #सद्दाम_हुसैन का अमेरिका ने किया था। गुरुद्वारा हमरिंदर साहब से रॉकेट लांचर और AK 47 जैसे हथियारों का जखीरा मिलना बताया गया था। कमाल की बात देखिए कि संत भिंडरवाले, शबेग सिंह और उनके साथियों ने ये प्रयोग भी नहीं किए तो क्या म्यूजियम में सजाने के लिए थे? मतलब ये कि बाद में बरामद किए बताए गए जिनके कभी पुख्ता सुबूत नहीं मिले की ये कैसे प्राप्त हुए। 

जरनैल सिंह भिंडरावाले ने कभी #खालिस्तान शब्द के नाम से अलग राज्य की मांग नहीं की। एक वीडियो जिसमें एक पत्रकार ने उनसे पूछा भी था कि आप खालिस्तान की मांग करते हैं ऐसा सरकार आरोप लगाती है आप पर तो भिंडरवाले का जवाब था कि "असी ते मांग्या नई जे धक्के देंदे हैं ते असि ले ल्यांगे"। 

उन्होंने #आनंदपुर साहिब समझौते के तहत पंजाब को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की थी। 

उस दौर में खालिस्तान की जोरदार मांग #जगजीत_सिंह_चौहान ने उठाई थी जिसका सीधा संबंध #बब्बर_खालसा इंटरनेशनल जैसे आतंकी संगठनों से था। जगजीत सिंह चौहान ने 1971 में न्यूयॉर्क टाइम्स में खालिस्तान नाम से विज्ञापन छपवाया था। 1979 में, चौहान ने ब्रिटेन में 'खालिस्तान नेशनल काउंसिल' की स्थापना की।

1980 में, आनंदपुर साहिब में 'खालिस्तान परिषद' की स्थापना की और खुद को इसका पहला अध्यक्ष घोषित किया।वह खालिस्तान के पासपोर्ट, डाक टिकट और मुद्रा भी जारी करता था, ताकि आंदोलन को 'आधिकारिक' दर्जा मिल सके।

चौहान ने इन कामों के लिए अंतराष्ट्रीय फंडिंग बटोरी और यहां तक कि पाकिस्तान से समर्थन के लिए संपर्क बनाए रखा। चौहान का सीधा संबंध बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI), खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) जैसे आतंकी संगठनों से रहा है। फिर भी ...

क्या कारण थे कि जिसने भारतीय गणराज्य के खिलाफ होने के बाद भी भारत में पारले पाया और वह 2001 में भारत वापस आया और तत्कालीन #वाजपेई सरकार ने उसको माफी भी दे दी। एक व्यक्ति जिसने भारतीय गणराज्य के खिलाफ आंदोलन किया उसे क्यों माफी दी गई? 

खालिस्तान नाम से अलग पंजाबी राज्य की मांग 1940 से #मास्टर_तारा_सिंह की अगुवाई में उठ रही थी। (वही मास्टर तारा सिंह जिसकी अगुवाई में पंजाब को पंजाबी सूबा मानकर हरियाणा को अलग किया गया था) 

तो इस पूरे प्रकरण में संत जरनैल सिंह भिंडरावाले जिसने कभी "खालिस्तान" की पृथक राज्य के तौर पर मांग नहीं की थी को बदनाम करके मार डाला गया और जिन्होंने बाकायदा "खालिस्तान" नाम से प्रवासित स्टेट की घोषणा की उन्हें माफी दी गई? (ठीक वैसे ही जैसे चारा घोटाले के असल अपराधी #जगन्नाथ_मिश्रा को बचाकर #लालू_प्रसाद_यादव को रगड़ दिया गया।) 

और इस प्रकरण में कौन कौन शामिल थे? जनसंघ और भाजपा तथा कांग्रेस मुख्य रूप से शामिल थे❓❓❓❓❓

क्या किसी राज्य की भारतीय गणराज्य के अधीन राज्य के मामलों में स्वायत्तता की डिमांड गलत है? 

यह तस्वीर दोनों बड़ी पार्टियों को डराती है क्योंकि इस तस्वीर से उन्हें खुद के सत्ता से बेदखल होने का डर सताता है।

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